Charchit Chehra: ईश्वर के अस्तित्व पर जावेद अख्तर से भिड़ने वाले 27 साल के मुफ्ती शमाइल नदवी कौन हैं?

Charchit Chehra: ईश्वर के अस्तित्व पर जावेद अख्तर से बहस करने वाले 27 साल के इस्लामिक स्कॉलर मुफ्ती शमाइल नदवी कौन हैं? चर्चित चेहरा के इस खास एपिसोड में जानिए कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में हुई डिबेट के बाद सोशल मीडिया पर क्यों छाए हैं मुफ्ती शमाइल नदवी, क्या है उनका बैकग्राउंड, पढ़ाई, विचारधारा और ऑनलाइन फूड बिजनेस से लेकर इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी तक का सफर.

Charchit Chehra Mufti Shamail Nadvi
मदवी शमाइल नदवी(फोटो- सोशल मीडिया)
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बीते कई घंटों से एक ही सवाल सोशल मीडिया पर छाया हुआ है, 'Does God Exist'.  ये सब तब शुरू हुआ जब दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में ईश्वर के अस्तित्व को लेकर एक तगड़ी डिबेट हुई. डिबेट के मुद्दे के अलावा डिबेट करने वाले भी जबरदस्त चर्चा में आ गए, जिसमें एक तरफ मशहूर शायर-गीतकार और नास्तिक होने का दावा करने वाले जावेद अख्तर और दूसरी तरफ इस्लामिक स्कॉलर मुफ्ती शमाइल नदवी थे. 

अब तक आपने जावेद अख्तर के बारे में खूब सुना होगा लेकिन इस ईश्वर के अस्तित्व को छिड़ी इस बहस से मुफ्ती शमाइल नदवी का नाम और उनके बारे में हर कोई सर्च कर रहा है. चर्चा इस बात की हो रही है कि एक 27 साल के लड़के ने कैसे इतने बड़े शायर को जवाब दिए, जो उनकी दोगुनी या लगभग तिन गुना उम्र में बड़े हैं. 

चर्चित चेहरा के खास एपिसोड में आज जानेंगे कौन हैं मुफ्ती शमाइल नदवी उर्फ शमाइल अहमद अब्दुल्ला, जो लगातार सोशल मीडिया पर सर्च किए जा रहे हैं और कैसे ऑनलाइन फूड स्टोर चलाने वाला एक शख्श इतने बड़े मुद्दे पर बड़े धुरंधर जावेद अख्तर के सामने डिबेट में टिका... 

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सोशल मीडिया पर मुफ्ती शमाइल नदवी ने मचाया धमाल

जावेद अख्तर को लोग पहले से जानते हैं, उनकी सोच, उनकी बेबाकी, उनके तर्क सब कुछ जाना-पहचाना है. लेकिन कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में हुई डिबेट खत्म होते ही सोशल मीडिया पर मुफ्ती शमाइल नदवी के बारे में खूब सर्च किया जा रहा हैं, जो पूरे कॉन्फिडेंस के साथ कह रहे हैं कि साइंस गॉड को ना प्रूव(Prove) कर सकती है और ना ही डिसप्रूव(Disprove). दोनों के लिए साइंस कोई मानक नहीं बन सकता और ऐसा वो खुद नहीं कह रहे हैं बल्कि वैज्ञानिक संस्थाएं ये बात कह रही हैं.

नदवी ने नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज का उदाहरण दिया और कहा एकेडमी का साफ कहना है कि विज्ञान के पास ऐसे तरीके मौजूद नहीं हैं, जिनके जरिए ईश्वर के अस्तित्व को प्रमाणित या अप्रमाणित किया जा सके. इसके पीछे नदवी वजह बताते हैं कि चूंकि विज्ञान का दायरा इम्पिरिकल एविडेंस(Empirical Evidence) तक सीमित है. इसलिए वो ईश्वर को साबित कर पाने में सफल नहीं हो सकता. जिन्हें नहीं पता उन्हें बता दें कि इम्पिरिकल एविडेंस वो होते हैं जिन्हें हम देख सकते हैं, माप सकते हैं, प्रयोग के माध्यम से जांच सकते हैं...

नदवी का वायरल बयान

नदवी कहते हैं, इम्पिरिकल एविडेंस का ताल्लुक हमारे नेचुरल और फिजिकल वर्ल्ड से है, जबकि ईश्वर नॉन-फिजिकल और सुपरनैचुरल रियलिटी है. लिहाजा नॉन फिजिकल रियलिटी को आप उस टूल के साथ नहीं चेक कर सकते जिसका काम फिजिकल रियलिटी को तलाश करना है. उनका कहना है कि विज्ञान सिर्फ भौतिक संसार को ही अनुभव कर सकता है. यानी जो चीजें देखी-सुनी या महसूस की जा सकती हैं, विज्ञान उन्हीं के बारे में प्रमाण या अप्रमाण दे सकता है. लेकिन इसके जरिए मेटा फिजिकल रिएलिटी को साबित नहीं किया जा सकता. ये इसके लिए गलत औजार है.

कौन हैं मुफ्ती शमाइल नदवी?

मुफ्ती शमाइल नदवी एक इस्लामिक स्कॉलर हैं, पश्चिम बंगाल के कोलकाता में जन्मा ये लड़का आज मदरसों से निकलकर इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी और बड़े-बड़े डिबेट प्लेटफॉर्म तक पहुंच चुका है. नदवी युवाओं की भाषा में बात करते हैं, लेकिन मुद्दे बड़े होते हैं जैसे God, Science, Atheism और Faith. यही वजह है कि एक डिबेट ने उन्हें सिर्फ चर्चा में ला दिया. ये डिबेट कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में इंडिया टुडे के सहयोगी चैनल लल्लनटॉप ने ऑर्गेनाइज कराई थी, जहां 2 घंटे लंबी चली बहस ने सोशल मीडिया पर मानों आग लगा दी. अब इसके बाद रील्स, क्लिप्स, मीम्स और लंबी बहसों के बीच लोग दो हिस्सों में बंट गए. 

कोलकाता में 7 जून 1998 को जन्मे मुफ्ती शमाइल नदवी ऐसे घर में रहकर बड़े हुए, जहां कुरान और हदीस की बातें रोजमर्रा का हिस्सा थीं. पिता मौलाना अबु सईद, कोलकाता के जाने-माने इस्लामिक स्कॉलर थे. मतलब धर्म और दर्शन का माहौल बचपन से ही मुफ्ती शमाइल नदवी को मिला. शुरुआती पढ़ाई बंगाल में हुई और वहीं से कुरान की बुनियादी तालीम ली. फिर 2014 में उन्होंने लखनऊ का रुख किया और दारुल उलूम नदवतुल उलेमा में दाखिला लिया. नदवा में छह साल की पढ़ाई के दौरान शमाइल ने इस्लामी धर्मशास्त्र, कुरान, हदीस और इस्लामी कानून की गहरी समझ हासिल की. नदवा से पढ़ने वालों के नाम के साथ जुड़ने वाला नदवी उनके नाम का हिस्सा बन गया.

नदवी की मुस्लिम युवाओं में है मजबूत पकड़

नदवा के बाद शमाइल नदवी मलेशिया पहुंचे. वहां की इंटरनेशनल इस्लामिक यूनिवर्सिटी IIUM में वे Islamic Revealed Knowledge and Human Sciences में पीएचडी कर रहे हैं जो सितंबर 2028 तक पूरी होनी है. इसके अलावा, इस्लामिक जूरिसप्रूडेंस में MPhil और फतवा देने की ट्रेनिंग जैसी पढ़ाइयां भी उनके अकादमिक प्रोफाइल में शामिल हैं.

आज मुफ्ती शमाइल नदवी की पहचान सिर्फ मस्जिद या मदरसे तक सीमित नहीं. वैसे देखा जाए तो मुफ्ती शमाइल नदवी की असली ताकत है डिजिटल प्लेटफॉर्म जैसे यूट्यूब, इंस्टाग्राम, फेसबुक हर जगह उनकी मौजूदगी है. वे नास्तिकता, विज्ञान, धर्म, फेमिनिज्म, पश्चिमी विचारधाराओं और इस्लाम सब पर खुलकर बात करते हैं. यही वजह है कि मुस्लिम युवाओं में उनकी पकड़ मजबूत मानी जाती है.

इंस्टीट्यूट से लेकर ऑनलाइन फूड तक चलाते है नदवी

लिंक्डइन बायो के अनुसार नदवी मरकज अल-वह्यैन के फाइंडर हैं. ये एक ऑनलाइन इस्लामिक संस्थान है जिसकी स्थापना 2021 में हुई थी. यहां कम या नाममात्र फीस में अरबी भाषा, कुरान और हदीस की पढ़ाई कराई जाती है. लाखों स्टूडेंट्स इससे जुड़े बताए जाते हैं और नदवी खुद यहां मुख्य शिक्षक हैं. 2024 में उन्होंने वह्यैन फाउंडेशन नाम से एक चैरिटेबल ट्रस्ट भी बनाया जो शिक्षा, समाजसेवा और धार्मिक मार्गदर्शन के क्षेत्र में काम करता है. कोलकाता में स्थित इस ट्रस्ट की गतिविधियां स्थानीय भी हैं और राष्ट्रीय स्तर पर भी दिखती हैं.

वो पश्चिमी विचारधाराओं का तार्किक खंडन करते हैं, इस्लाम को जीवन का सच्चा और पूर्ण तरीका बताते हैं तथा मुस्लिम उम्माह में एकता की अपील करते हैं. उनके लेक्चर्स में आधुनिक मुद्दों जैसे एथिज्म, फेमिनिज्म, साइंस और धर्म के संबंध पर खुलकर चर्चा होती है, जो युवाओं को आकर्षित करती है. इन सब के अलावा मुफ्ती शमाइल नदवी का खुद का बिजनेस भी है. नदवी की वेबसाइट के मुताबिक वो शहजार फूड्स नाम का एक ऑनलाइन फूड स्टोर भी चलाते हैं. ये ऑनलाइन स्टोर में अलग-अलग तरह के ऑर्गैनिक फूड्स, सूखे मेवे और नट्स बेचता है. स्टोर की वेबसाइट में दावा किया गया है कि ये 100% शुद्ध शहद और बेहतरीन कश्मीरी केसर उपलब्ध कराते हैं. इसका स्टोर कोलकाता में है. 

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